Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6bcb7b40501a114437eb1f7363eebf57, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं - फ़ाज़िल जमीली कविता - Darsaal

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं

ये जो आँखों में चमक है कोई ख़्वाहिश तो नहीं

रंग मल्बूस हुए लम्स हुई है ख़ुश-बू

आज फिर शहर में फूलों की नुमाइश तो नहीं

एक ही साँस में दोहराए चले जाते हैं

ये मोहब्बत कहीं अल्फ़ाज़ की वर्ज़िश तो नहीं

देखता रहता हूँ चुप-चाप गुज़रते बादल

ये तअल्लुक़ भी कोई धूप की बारिश तो नहीं

तुम कभी एक नज़र मेरी तरफ़ भी देखो

इक तवक़्क़ो ही तो है कोई गुज़ारिश तो नहीं

मिल भी जाएँ कहीं आँखें तो मरम्मत न करें

हम में ऐसी कोई तल्ख़ी कोई रंजिश तो नहीं

(1172) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin In Hindi By Famous Poet Fazil Jamili. Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin is written by Fazil Jamili. Complete Poem Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin in Hindi by Fazil Jamili. Download free Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin Poem for Youth in PDF. Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere HonTon Pe Tere Nam Ki Larzish To Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.