चमक सितारों की नज़रों पे बार गुज़री है

चमक सितारों की नज़रों पे बार गुज़री है

न पूछ कैसे शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

जो आँसुओं की नदी ख़ुश्क थी कई दिन से

वो साथ अपने लिए आबशार गुज़री है

मैं इक धुआँ था कि उठता गया हर इक दिल से

जिधर से वो निगह-ए-बर्क़-बार गुज़री है

वहाँ से साथ मिरा साथियों ने छोड़ दिया

जहाँ से राहगुज़र ख़ारज़ार गुज़री है

ख़ुदा का शुक्र है 'फ़ाज़िल' कि ज़िंदगी अपनी

ग़मों के साथ बहुत ख़ुश-गवार गुज़री है

(826) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai In Hindi By Famous Poet Fazil Ansari. Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai is written by Fazil Ansari. Complete Poem Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai in Hindi by Fazil Ansari. Download free Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai Poem for Youth in PDF. Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Chamak Sitaron Ki Nazron Pe Bar Guzri Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.