Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bf77c600358e836f84f8aceb0bc11117, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ऐ कहकशाँ गुज़र के तिरी रहगुज़र से हम - फ़ाज़िल अंसारी कविता - Darsaal

ऐ कहकशाँ गुज़र के तिरी रहगुज़र से हम

ऐ कहकशाँ गुज़र के तिरी रहगुज़र से हम

आगे बढ़ेंगे और मक़ाम-ए-क़मर से हम

अज़्म-ए-बुलंद हौसला-ए-मुस्तक़िल लिए

गुज़रे हर एक मरहला-ए-सख़्त-तर से हम

देखा तो है ज़मीं से तुझे गुम्बद-ए-फ़लक

देखेंगे अब ज़मीं को तिरे बाम-ओ-दर से हम

जब से हुई है आँख शब-ए-ग़म से आश्ना

ना-आश्ना हैं लज़्ज़त-ए-ख़्वाब-ए-सहर से हम

दिल इज़तिराब-ओ-दर्द से महरूम हो गया

बाज़ आए तेरे लुत्फ़-ओ-करम की नज़र से हम

हर ताज़ा ग़म के वास्ते जा-ए-क़याम है

तंग आ गए हैं वुसअत-ए-क़ल्ब-ओ-जिगर से हम

तर्ग़ीब दे न ऐ दिल-ए-फुर्क़त-नसीब तू

वाक़िफ़ हैं ख़ूब आह-ओ-फ़ुग़ाँ के असर से हम

'फ़ाज़िल' हमारा हाल भी होता तिरी मिसाल

रहते न होशियार अगर राहबर से हम

(866) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum In Hindi By Famous Poet Fazil Ansari. Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum is written by Fazil Ansari. Complete Poem Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum in Hindi by Fazil Ansari. Download free Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum Poem for Youth in PDF. Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Ai Kahkashan Guzar Ke Teri Rahguzar Se Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.