Love Poetry of Faza Ibn E Faizi (page 1)
नाम | फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Faza Ibn E Faizi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2009 |
ज़िंदगी ख़ुद को न इस रूप में पहचान सकी
यूँ मआनी से बहुत ख़ास है रिश्ता अपना
वो मेल-जोल हुस्न ओ बसीरत में अब कहाँ
पलकों पर अपनी कौन मुझे अब सजाएगा
किसी लम्हे तो ख़ुद से ला-तअल्लुक़ भी रहो लोगो
आँखों के ख़्वाब दिल की जवानी भी ले गया
ये क्या बताएँ कि किस रहगुज़र की गर्द हुए
वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली
उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना
सवाल सख़्त था दरिया के पार उतर जाना
रूह और बदन दोनों दाग़ दाग़ हैं यारो
राएगाँ सब कुछ हुआ कैसी बसीरत क्या हुनर
पाया-ए-ख़िश्त-ओ-ख़ज़फ़ और गुहर से ऊँचा
न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो
मुझे मंज़ूर काग़ज़ पर नहीं पत्थर पे लिख देना
मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ
मैं ही इक शख़्स था यारान-ए-कुहन में ऐसा
लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा
लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर
जुरअत-ए-इज़हार से रोकेगी क्या
जबीं पे गर्द है चेहरा ख़राश में डूबा
इक़रा की सौग़ात की सूरत आ
हर इक क़यास हक़ीक़त से दूर-तर निकला
ग़ज़ल के पर्दे में बे-पर्दा ख़्वाहिशें लिखना
फ़ुज़ूल शय हूँ मिरा एहतिराम मत करना
छाँव को तकते धूप में चलते एक ज़माना बीत गया
चेहरा सालिम न नज़र ही क़ाएम
चंद साँसें हैं मिरा रख़्त-ए-सफ़र ही कितना