Hope Poetry of Faza Ibn E Faizi
नाम | फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Faza Ibn E Faizi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2009 |
अब शहर में कहाँ रहे वो बा-वक़ार लोग
ये तमाशा दीदनी ठहरा मगर देखेगा कौन
अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना
रूह और बदन दोनों दाग़ दाग़ हैं यारो
न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो
मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ
मैं ख़ुद हूँ नक़्द मगर सौ उधार सर पर है
मैं ही इक शख़्स था यारान-ए-कुहन में ऐसा
लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा
खुला न मुझ से तबीअत का था बहुत गहरा
जुरअत-ए-इज़हार से रोकेगी क्या
हाथ फैलाओ तो सूरज भी सियाही देगा
फ़ुज़ूल शय हूँ मिरा एहतिराम मत करना
और क्या मुझ से कोई साहिब-नज़र ले जाएगा
अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया
आह को बाद-ए-सबा दर्द को ख़ुशबू लिखना