Heart Broken Poetry of Faza Ibn E Faizi
नाम | फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Faza Ibn E Faizi |
जन्म की तारीख | 1923 |
मौत की तिथि | 2009 |
ये तमाशा दीदनी ठहरा मगर देखेगा कौन
वो मेल-जोल हुस्न ओ बसीरत में अब कहाँ
नुत्क़ से लब तक है सदियों का सफ़र
ख़बर मुझ को नहीं मैं जिस्म हूँ या कोई साया हूँ
ज़मीन चीख़ रही है कि आसमान गिरा
ये क्या बताएँ कि किस रहगुज़र की गर्द हुए
वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली
उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना
सवाल सख़्त था दरिया के पार उतर जाना
सराब-ए-जिस्म को सहरा-ए-जाँ में रख देना
राएगाँ सब कुछ हुआ कैसी बसीरत क्या हुनर
पाया-ए-ख़िश्त-ओ-ख़ज़फ़ और गुहर से ऊँचा
न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो
मुझे मंज़ूर काग़ज़ पर नहीं पत्थर पे लिख देना
मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ
मैं ख़ुद हूँ नक़्द मगर सौ उधार सर पर है
मैं ही इक शख़्स था यारान-ए-कुहन में ऐसा
लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा
लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर
खुला न मुझ से तबीअत का था बहुत गहरा
जुरअत-ए-इज़हार से रोकेगी क्या
जबीं पे गर्द है चेहरा ख़राश में डूबा
हर इक क़यास हक़ीक़त से दूर-तर निकला
ग़ज़ल के पर्दे में बे-पर्दा ख़्वाहिशें लिखना
फ़ुज़ूल शय हूँ मिरा एहतिराम मत करना
छाँव को तकते धूप में चलते एक ज़माना बीत गया
चेहरा सालिम न नज़र ही क़ाएम
चंद साँसें हैं मिरा रख़्त-ए-सफ़र ही कितना