Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_26903cbd0c507df5f72f9e756078e081, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
किसी को सोचना दिल का गुदाज़ हो जाना - फ़य्याज़ फ़ारुक़ी कविता - Darsaal

किसी को सोचना दिल का गुदाज़ हो जाना

किसी को सोचना दिल का गुदाज़ हो जाना

हवा की छेड़ से पत्तों का साज़ हो जाना

कभी वो गुफ़्तुगू जैसे कि कुछ छुपा ही नहीं

कभी वो बोलती आँखों का राज़ हो जाना

बढ़ाना हाथ पकड़ने को रंग मुट्ठी में

तो तितलियों के परों का दराज़ हो जाना

कभी तो ग़फ़लतें सज्दों में और कभी यूँ भी

कि उस को सोच ही लेना नमाज़ हो जाना

वो डूबता हुआ सूरज वो कारवाँ का ग़ुबार

हक़ीक़तों का भी पल में मजाज़ हो जाना

किवाड़ खुलते हों जैसे किसी ख़ज़ाने के

वो ख़्वाब ख़्वाब सी आँखों का बाज़ हो जाना

(875) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana In Hindi By Famous Poet Fayyaz Farooqi. Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana is written by Fayyaz Farooqi. Complete Poem Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana in Hindi by Fayyaz Farooqi. Download free Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana Poem for Youth in PDF. Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana is a Poem on Inspiration for young students. Share Kisi Ko Sochna Dil Ka Gudaz Ho Jaana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.