मकड़ी ने कहानी का बुना है जाला
फिर आएगा शायद कोई दिल लूटने वाला
जितने भी मधुर ख़्वाब दुखाए कोई इस को
औरत ही को पीना है मगर ज़हर का प्याला
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इश्क़ किया तो अपनी ही नादानी थी
मैं कहाँ आया हूँ लाए हैं तिरी महफ़िल में
अलमिया-ए-नक़्द
एयर-होस्टेस
मिरा रोता बच्चा बहलता था जिस से
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है
जो मरा है हादसे में मिरा उस से क्या था रिश्ता
ये दिल माँगे मोर
समुंदर सर पटक कर मर रहा था
ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आप
कोई आँख चुपके चुपके मुझे यूँ निहारती है
इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए