तुझ को मंज़ूर नहीं मुझ को है अब भी मंज़ूर
मेरी क़ुर्बत मिरे बोसे मुझे वापस कर दे
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इश्क़ झेला है तो चेहरा ज़र्द होना चाहिए
आइने रूप चुरा लेंगे उधर मत देखो
आँख और नींद के रिश्ते मुझे वापस कर दे
दिया जला के कोई चाँद पर रखा होगा
बग़ैर नक़्शे के सारे मकान लगते हैं
टेढ़ी लकीर
उम्र भर एक सी उलझन तो नहीं बन सकते
याद
उस की हर बात ने जादू सा किया था पहले
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है
समुंदर सर पटक कर मर रहा था
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