जो पलकों से गिर जाए आँसू का क़तरा
जो पलकों में रह जाएगा वो गुहर है
Anwar Masood
Javed Akhtar
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Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
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वो जिस का नाम पड़ा है ख़मोश लोगों में
रूठे लोगों को मनाने में मज़ा आता है
उस की गली में ज़र्फ़ से बढ़ कर मिला मुझे
बे-कैफ़ कट रही थी मुसलसल ये ज़िंदगी
हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट
दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में
हवा ने छीन लिया आ के मेरे होंटों से
तुम मुझे छोड़ के इस तरह नहीं जा सकते
उन निगाहों को हम-आवाज़ किया है मैं ने
तुम्हारे लिए मुस्कुराती सहर है