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हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट - फ़व्वाद अहमद कविता - Darsaal

हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट

हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट

हमारे आगे कभी उस का नाम मत लेना

उसी निगाह से पीने में लुत्फ़ है सारा

अलावा उस के कोई और जाम मत लेना

इसी सबब से है दुनिया में आसमाँ बदनाम

तुम अपने हाथ में ये इंतिज़ाम मत लेना

दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में

दिल ओ नज़र से कोई और काम मत लेना

यहाँ पे अच्छा है जितना भी मुख़्तसर हो क़याम

ज़लील होगे हयात-ए-दवाम मत लेना

ये सारे लोग तुम्हारा मज़ाक़ उड़ाते हैं

जहाँ में और मोहब्बत का नाम मत लेना

रहोगे चाँद की सरगोशियों से भी महरूम

किसी से धूप का जलता कलाम मत लेना

अगरचे तुम पे हुआ है यहाँ पे ज़ुल्म बहुत

किसी से उस का मगर इंतिक़ाम मत लेना

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