दिल में मोहब्बतों के सिवा और कुछ नहीं
दिल में मोहब्बतों के सिवा और कुछ नहीं
तेरी हिकायतों के सिवा और कुछ नहीं
ये ग़म की भीड़ और ये दुनिया के रास्ते
उन की इनायतों के सिवा और कुछ नहीं
अपना नहीं ख़याल मगर दूसरों का है
बिल्कुल हिमाक़तों के सिवा और कुछ नहीं
भाई को भाई किस लिए देता है रंज-ओ-ग़म
बेजा अदावतों के सिवा और कुछ नहीं
ये रंग-ओ-नस्ल और तशद्दुद के सिलसिले
दुश्मन की राहतों के सिवा और कुछ नहीं
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