पूरी न अधूरी हूँ न कम-तर हूँ न बरतर
इंसान हूँ इंसान के मेआर में देखें
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Wasi Shah
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मैं ने माँ का लिबास जब पहना
कब उस की फ़त्ह की ख़्वाहिश को जीत सकती थी
हमारी नस्ल सँवरती है देख कर हम को
कोई नहीं है मेरे जैसा चारों ओर
नज़्म
कौन ख़्वाहिश करे कि और जिए
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं
कहो तो नाम मैं दे दूँ इसे मोहब्बत का
यादों के सब रंग उड़ा कर तन्हा हूँ
मौसम की पहली बारिश
अच्छा लगता है
ख़ुशबू है और धीमा सा दुख फैला है