वो इक लम्हा

बीत गए हैं कितने दिन

जब तुम ने ये मुझ से कहा था

तुम मुझ को अच्छी लगती हो

और मेरे हाथों पर तुम ने

एक वो लम्हा छोड़ दिया था

वो लम्हा जो अन-देखी ज़ंजीर की सूरत

रूह से लिपटा दिल में उतरा

ख़ून में तैर गया

आज उसी लम्हे को थामे

खड़ी हुई हूँ सीढ़ी पर

(979) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wo Ek Lamha In Hindi By Famous Poet Fatima Hasan. Wo Ek Lamha is written by Fatima Hasan. Complete Poem Wo Ek Lamha in Hindi by Fatima Hasan. Download free Wo Ek Lamha Poem for Youth in PDF. Wo Ek Lamha is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Ek Lamha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.