यादों के सब रंग उड़ा कर तन्हा हूँ

यादों के सब रंग उड़ा कर तन्हा हूँ

अपनी बस्ती से दूर आ कर तन्हा हूँ

कोई नहीं है मेरे जैसा चारों ओर

अपने गिर्द इक भीड़ सजा कर तन्हा हूँ

जितने लोग हैं उतनी ही आवाज़ें हैं

लहजों का तूफ़ान उठा कर तन्हा हूँ

रौशनियों के आदी कैसे जानेंगे

आँखों में दो दीप जला कर तन्हा हूँ

जिस मंज़र से गुज़री थी मैं उस के साथ

आज उसी मंज़र में आ कर तन्हा हूँ

पानी की लहरों पर बहती आँखों में

कितने भूले ख़्वाब जगा कर तन्हा हूँ

मेरा प्यारा साथी कब ये जानेगा

दरिया की आग़ोश तक आ कर तन्हा हूँ

अपना आप भी खो देने की ख़्वाहिश में

उस का भी इक नाम भुला कर तन्हा हूँ

(921) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun In Hindi By Famous Poet Fatima Hasan. Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun is written by Fatima Hasan. Complete Poem Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun in Hindi by Fatima Hasan. Download free Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun Poem for Youth in PDF. Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Yaadon Ke Sab Rang UDa Kar Tanha Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.