Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3039d3de0832320e7cb597851e2c9cd9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जड़ों से सूखता तन्हा शजर है - फ़सीह अकमल कविता - Darsaal

जड़ों से सूखता तन्हा शजर है

जड़ों से सूखता तन्हा शजर है

मिरे अंदर भी इक प्यासा शजर है

हज़ारों आँधियाँ झेली हैं उस ने

ज़मीं थामे हुए बूढ़ा शजर है

पुजारी जल चढ़ा कर जा रहे हैं

नगर में दुख के सुख-दाता शजर है

मुसाफ़िर और परिंदे जानते हैं

कि इन के वास्ते क्या क्या शजर है

जो हो फ़ुर्सत तो उस के पास बैठो

क़लंदर है वली बाबा शजर है

ज़मीं पर प्यार तो ज़िंदा है इस से

हम इंसानों से तो अच्छा शजर है

हमारे शहर में 'अकमल' अभी तक

मोहब्बत बाँटने वाला शजर है

(868) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai In Hindi By Famous Poet Fasih Akmal. JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai is written by Fasih Akmal. Complete Poem JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai in Hindi by Fasih Akmal. Download free JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai Poem for Youth in PDF. JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share JaDon Se Sukhta Tanha Shajar Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.