Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_baa59f4028464a590b79a146f4f4b8f6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए - फ़सीह अकमल कविता - Darsaal

दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए

दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए

हो गए बे-आसरा हम आसरा होते हुए

खिड़कियाँ मत खोल लेकिन कोई रौज़न वा तो कर

घुट न जाए मेरा दम ताज़ा हवा होते हुए

वक़्त ने गर्दन उठाने की न दी मोहलत हमें

अपना चेहरा भूल बैठे आईना होते हुए

ख़ुद उसी के अहद में अज़्म-ए-वफ़ादारी न था

वर्ना क्यूँ मुझ से बदलता आश्ना होते हुए

गर्दिश-ए-दौराँ का हम पर भी असर होता ज़रूर

हम ने देखा है मगर उस को ख़फ़ा होते हुए

जाने किस के सोग में ये शहर है डूबा हुआ

मय-कदे सुनसान हैं काली घटा होते हुए

(891) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue In Hindi By Famous Poet Fasih Akmal. De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue is written by Fasih Akmal. Complete Poem De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue in Hindi by Fasih Akmal. Download free De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue Poem for Youth in PDF. De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue is a Poem on Inspiration for young students. Share De Gaya Likh Kar Wo Bas Itna Juda Hote Hue with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.