Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8126af5173364deb40af381b72639c49, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इसी फ़ुतूर में कर्ब-ओ-बला से लिपटे हुए - फ़रियाद आज़र कविता - Darsaal

इसी फ़ुतूर में कर्ब-ओ-बला से लिपटे हुए

इसी फ़ुतूर में कर्ब-ओ-बला से लिपटे हुए

तमाम उम्र गँवा दी अना से लिपटे हुए

अभी भी मिल न सकी इन की ख़ामुशी को ज़बाँ

ये लोग अब भी हैं सौत-ओ-सदा से लिपटे हुए

हवा के शहर में बस साँस लेने आते हैं

वगर्ना अहल-ए-ज़मीं हैं ख़ला से लिपटे हुए

हर एक सम्त लगा है ख़मोशियों का हुजूम

ये कौन लोग हैं कोह-ए-निदा से लिपटे हुए

हँसी भी आती है इन पर तरस भी आता है

ये नफ़रतों के पुजारी ख़ुदा से लिपटे हुए

हम इब्तिदा ही में पहुँचे थे इंतिहा को कभी

अब इंतिहा में भी हैं इब्तिदा से लिपटे हुए

मैं ज़िंदगी के मसाइल से लड़ना चाहता हूँ

मगर वो हाथ निगार-ए-हिना से लिपटे हुए

वगर्ना ख़त्म न होता गहन कभी 'आज़र'

अँधेरे ख़ौफ़-ज़दा थे ज़िया से लिपटे हुए

(966) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue In Hindi By Famous Poet Faryad Aazar. Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue is written by Faryad Aazar. Complete Poem Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue in Hindi by Faryad Aazar. Download free Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue Poem for Youth in PDF. Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue is a Poem on Inspiration for young students. Share Isi Futur Mein Karb-o-bala Se LipTe Hue with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.