Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5029e75e64f0fec186183a8fe11a7bf1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है - फ़रियाद आज़र कविता - Darsaal

इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है

इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है

अब भी कुछ लोग हैं ज़िंदा कि जहाँ बाक़ी है

अहल-ए-सहरा भी बढ़े आते हैं शहरों की तरफ़

साँस लेने को जहाँ सिर्फ़ धुआँ बाक़ी है

ज़िंदगी उम्र के उस मोड़ पे पहुँची है जहाँ

सूद नापैद है एहसास-ए-ज़ियाँ बाक़ी है

ढूँढती रहती है हर लम्हा निगाह-ए-दहशत

और किस शहर-ए-मोहब्बत में अमाँ बाक़ी है

मैं कभी सूद का क़ाइल भी नहीं था लेकिन

ज़िंदगी और बता कितना ज़ियाँ बाक़ी है

मार कर भी मिरे क़ातिल को तसल्ली न हुई

मैं हुआ ख़त्म तो क्यूँ नाम-ओ-निशाँ बाक़ी है

ऐसी ख़ुशियाँ तो किताबों में मिलेंगी शायद

ख़त्म अब घर का तसव्वुर है मकाँ बाक़ी है

लाख 'आज़र' रहें तज्दीद-ए-ग़ज़ल से लिपटे

आज भी 'मीर' का अंदाज़-ए-बयाँ बाक़ी है

(892) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai In Hindi By Famous Poet Faryad Aazar. Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai is written by Faryad Aazar. Complete Poem Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai in Hindi by Faryad Aazar. Download free Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai Poem for Youth in PDF. Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Is Tamashe Ka Sabab Warna Kahan Baqi Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.