फ़रियाद आज़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रियाद आज़र
नाम | फ़रियाद आज़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Faryad Aazar |
जन्म की तारीख | 1956 |
मौत की तिथि | - |
जन्म स्थान | Delhi |
सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है
मैं उस की बातों में ग़म अपना भूल जाता मगर
मैं जिस में रह न सका जी-हुज़ूरियों के सबब
मैं अपनी रूह लिए दर-ब-दर भटकता रहा
जो दूर रह के उड़ाता रहा मज़ाक़ मिरा
इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है
हम इब्तिदा ही में पहुँचे थे इंतिहा को कभी
बंद हो जाता है कूज़े में कभी दरिया भी
ऐसी ख़ुशियाँ तो किताबों में मिलेंगी शायद
अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया
सुराग़ भी न मिले अजनबी सदा के मुझे
सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है
सबब थी फ़ितरत-ए-इंसाँ ख़राब मौसम का
पड़ा था लिखना मुझे ख़ुद ही मर्सिया मेरा
इसी फ़ुतूर में कर्ब-ओ-बला से लिपटे हुए
इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है
अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया