Sad Poetry of Fartash Syed
नाम | फ़रताश सय्यद |
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अंग्रेज़ी नाम | Fartash Syed |
तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त
ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
वो भी गुमराह हो गया होगा
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मिरे साथ
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ
सर पे हर्फ़ आता है दस्तार पे हर्फ़ आता है
सफ़-ए-मातम पे जो हम नाचने गाने लग जाएँ
नख़्ल-ए-ममनूअा के रुख़ दोबारा गया मैं तो मारा गया
कीसा-ए-गुल में बंद थी ख़ुशबू
हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों
हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक
दर-ए-फ़क़ीर पे जो आए वो दुआ ले जाए