ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
मैं ख़ून थूकता किरदार तेरे बस में नहीं
मैं मानता हूँ कि तुझ को भुला नहीं सकता
मुझे भुलाना भी ऐ यार तेरे बस में नहीं
है रोज़ बारगह-ए-दिल में आग पर मातम
ये ग़म मनाना अज़ा-दार तेरे बस में नहीं
मिरे ख़ुदा हो मुझे भी बशारत-ए-बख़्शिश
नहीं कि मुझ सा गुनाहगार तेरे बस में नहीं
मिरी नज़र में हैं उस्लूब-ए-नक़्द-ओ-फ़िक्र-ओ-सुख़न
मिरे वजूद का इंकार तेरे बस में नहीं
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