वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ
रहा है साथ मिरे पर नहीं रहा मेरे साथ
ये तेरी याद का एजाज़ ही तो है कि ये दिल
मैं जल के राख हुआ हूँ नहीं जला मेरे साथ
तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त
मिरा वजूद भी शामिल नहीं हुआ मेरे साथ
मिरा जो रस्ता था दर-अस्ल रास्ता था वही
ये और बात ज़माना नहीं चला मेरे साथ
निभा सका न तअ'ल्लुक़ कोई भी मैं 'फ़रताश'
यहाँ है कौन कि जिस को नहीं गिला मेरे साथ
(1642) Peoples Rate This