गली का पत्थर था मुझ में आया बिगाड़ ऐसा

गली का पत्थर था मुझ में आया बिगाड़ ऐसा

मैं ठोकरें खा के हो गया हूँ पहाड़ ऐसा

ख़ुदा ख़बर दिल में कोई आसेब है कि इस में

कोई न आया गया पड़ा है उजाड़ ऐसा

न सर उठा पाए कोई भौंचाल मुझ में ऐ वक़्त

मैं नर्म मिट्टी हूँ सो मुझे तू लताड़ ऐसा

चहार जानिब पड़े हैं पुर्ज़े निगाह-ओ-दिल के

हमारा इस इश्क़ ने किया है कबाड़ ऐसा

मैं भूल बैठा हूँ हँसना 'फ़रताश' भूल बैठा

हुआ है ख़ुशियों का बंद मुझ पर किवाड़ ऐसा

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Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa In Hindi By Famous Poet Fartash Syed. Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa is written by Fartash Syed. Complete Poem Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa in Hindi by Fartash Syed. Download free Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa Poem for Youth in PDF. Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa is a Poem on Inspiration for young students. Share Gali Ka Patthar Tha Mujh Mein Aaya BigaD Aisa with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.