फ़रताश सय्यद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रताश सय्यद
नाम | फ़रताश सय्यद |
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अंग्रेज़ी नाम | Fartash Syed |
तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर
तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त
रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई करे ज़िक्र तो बात
आसमानों पे उड़ो ज़ेहन में रक्खो कि जो चीज़
ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं
वो भी गुमराह हो गया होगा
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मिरे साथ
वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ
सर पे हर्फ़ आता है दस्तार पे हर्फ़ आता है
सफ़-ए-मातम पे जो हम नाचने गाने लग जाएँ
नख़्ल-ए-ममनूअा के रुख़ दोबारा गया मैं तो मारा गया
मैं अपने दिल की तरह आइना बना हुआ हूँ
कीसा-ए-गुल में बंद थी ख़ुशबू
इश्क़ हूँ जुरअत-ए-इज़हार भी कर सकता हूँ
हम वफ़ादार हैं और इस से ज़ियादा क्या हों
हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक
हाँ कभी रूह को नख़चीर नहीं कर सकता
गुँध के मिट्टी जो कभी चाक पे आ जाती है
गली का पत्थर था मुझ में आया बिगाड़ ऐसा
दर-ए-फ़क़ीर पे जो आए वो दुआ ले जाए