फर्रुख यार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फर्रुख यार
नाम | फर्रुख यार |
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अंग्रेज़ी नाम | Farrukh Yar |
यूँ भी होता है कि अपने-आप आवाज़ देना पड़ती है
उजलत में पशेमानी का तज़्किरा
तिरे अद्ल के ऐवानों में
रूह-ए-अस्र-ए-रवाँ
मुझे खोल ताज़ा हवा में रख
मालूम करो
लकीरें
कुश्तगान-ए-ख़ंजर-ए-तस्लीम-रा
ख़बर मफ़क़ूद है लेकिन
हम तो बस
दो तहों वाली सरगोशी
दिन गुज़र जाएगा
अयाज़ चुप है