दर्द के चेहरे बदल जाते हैं क्यूँ

दर्द के चेहरे बदल जाते हैं क्यूँ

मरसिए नग़्मों में ढल जाते हैं क्यूँ

सोच के पैकर नहीं जब मोम के

हाथ आते ही पिघल जाते हैं क्यूँ

जब बिखर जाती है ख़ुश-बू ख़्वाब की

नींद के गेसू मचल जाते हैं क्यूँ

झील सी आँखों में मुझ को देख कर

दो दिए चुपके से जल जाते हैं क्यूँ

धूप छूती है बदन को जब 'शमीम'

बर्फ़ के सूरज पिघल जाते हैं क्यूँ

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Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun In Hindi By Famous Poet Farooq Shamim. Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun is written by Farooq Shamim. Complete Poem Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun in Hindi by Farooq Shamim. Download free Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun Poem for Youth in PDF. Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun is a Poem on Inspiration for young students. Share Dard Ke Chehre Badal Jate Hain Kyun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.