Heart Broken Poetry of Farooq Shamim
नाम | फ़ारूक़ शमीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Farooq Shamim |
जन्म की तारीख | 1953 |
वक़्त इक मौज है आता है गुज़र जाता है
हैं राख राख मगर आज तक नहीं बिखरे
धूप छूती है बदन को जब 'शमीम'
सिलसिले ख़्वाब के अश्कों से सँवरते कब हैं
मैं तो लम्हात की साज़िश का निशाना ठहरा
जो ख़ुद पे बैठे बिठाए ज़वाल ले आए
दर्द के चेहरे बदल जाते हैं क्यूँ