Love Poetry of Farooq Shafaq
नाम | फ़ारूक़ शफ़क़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Farooq Shafaq |
सुना है हर घड़ी तू मुस्कुराता रहता है
शहर का मंज़र हमारे घर के पस-ए-मंज़र में है
याद रखते किस तरह क़िस्से कहानी लोग थे
उजड़े नगर में शाम कभी कर लिया करें
रात काफ़ी लम्बी थी दूर तक था तन्हा मैं
कोई भी शख़्स न हंगामा-ए-मकाँ में मिला
खिड़कियों पर मल्गजे साए से लहराने लगे
होने वाला था इक हादसा रह गया
दिन को थे हम इक तसव्वुर रात को इक ख़्वाब थे
छाँव की शक्ल धूप की रंगत बदल गई
बहुत धोका किया ख़ुद को मगर क्या कर लिया मैं ने