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घर की चीज़ों से यूँ आश्ना कौन है - फ़ारूक़ शफ़क़ कविता - Darsaal

घर की चीज़ों से यूँ आश्ना कौन है

घर की चीज़ों से यूँ आश्ना कौन है

इस ख़राबे में आया गया कौन है

सुब्ह की शोख़ किरनों को क्या है ख़बर

रात भर ओस में भीगता कौन है

फूल आँखों के चुप से उठा लीजिए

पीछे मुड़ के यहाँ देखता कौन है

धूल ओढ़े सहीफ़े बताएँ भी क्या

रात भर ताक़-ए-दिल में जला कौन है

सामने झील है झील में आसमाँ

आसमाँ में ये उड़ता हुआ कौन है

पूछने क्या लगे रुक के दीवार से

शहर में सच तो ये है खड़ा कौन है

आज सोचा है जागूँगा मैं रात में

कच्चे फल सा मुझे तोड़ता कौन है

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