आँधियों का ख़्वाब अधूरा रह गया
आँधियों का ख़्वाब अधूरा रह गया
हाथ में इक सूखा पत्ता रह गया
शहर तो साबित हुआ शहर-ए-ख़याल
आँख में बस इक धुँदलका रह गया
आ गए बारिश के दिन दीवार पर
इक ज़रा सा रंग कच्चा रह गया
खिलखिला कर धूप पीछे हट गई
होते होते इक तमाशा रह गया
रास्ते इक दूसरे में खो गए
हाथ में सड़कों का नक़्शा रह गया
अच्छे अच्छे सब खिलौने बिक गए
शाम का सुनसान मेला रह गया
महफ़िलों की भी फ़ज़ा मालूम है
क्या हुआ जो मैं अकेला रह गया
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