जो पहले ज़रा सी नवाज़िश करे है

जो पहले ज़रा सी नवाज़िश करे है

वही फिर शब-ओ-रोज़ साज़िश करे है

वो धोके पे धोका दिए जाए लेकिन

ये दिल फिर भी उस की सिफ़ारिश करे है

किसी दिन मिले वो खिलौनों की सूरत

मिरा दिल भी बच्चों सी ख़्वाहिश करे है

ये दिल का ख़लल जान ले कर रहेगा

मसीहा तो बे-कार कोशिश करे है

मैं उस की रगों में लहू बन के दौड़ूँ

वो मेरे बदन में रिहाइश करे है

उसे प्यास सहरा की भाती नहीं है

वो 'फ़ारूक़' दरिया पे बारिश करे है

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