Sad Poetry of Farooq Nazki
नाम | फ़ारूक़ नाज़की |
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अंग्रेज़ी नाम | Farooq Nazki |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Srinagar |
जुनूँ-आसार मौसम का पता कोई नहीं देगा
हिसार-ए-ख़ौफ़-ओ-हिरास में है बुतान-ए-वहम-ओ-गुमाँ की बस्ती
सुनहरी दरवाज़े के बाहर
नींद क्यूँ नहीं आती
मौत
मातम-ए-नीम-ए-शब
एक नज़्म जंगलों के नाम
और मैं चुप रहा
वही में हूँ वही ख़ाली मकाँ है
वही मैं हूँ वही ख़ाली मकाँ है
तेरी मर्ज़ी न दे सबात मुझे
पूरे क़द से मैं खड़ा हूँ सामने आएगा क्या
नई बासी कोई ख़बर दे दे
मेरे चेहरे की स्याही का पता दे कोई
में इक गाँव का शाएर हूँ
मशवरा देने की कोशिश तो करो
मशवरा देने की कोशिश तो करो
जब भी तुम को सोचा है
ग़म की चादर ओढ़ कर सोए थे क्या
गहरी नीली शाम का मंज़र लिखना है
दर्द की रात गुज़रती है मगर आहिस्ता
बस्ती से दूर जा के कोई रो रहा है क्यूँ
ऐ मरकज़-ए-ख़याल बिखरने लगा हूँ मैं
ए मरकज़-ए-ख़याल बिखरने लगा हूँ में