तू ख़ुदा है तो बजा मुझ को डराता क्यूँ है
जा मुबारक हो तुझे तेरे करम का साया
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वही मैं हूँ वही ख़ाली मकाँ है
अब फ़क़ीरी में कोई बात नहीं
भटक न जाता अगर ज़ात के बयाबाँ में
तोहमत-ए-सैर-ए-चमन हम पे लगी क्या न हुआ
तेज़ाब, आकार ख़ुश्बू का
अजीब रंग सा चेहरों पे बे-कसी का है
अपनी ग़ज़ल को ख़ून का सैलाब ले गया
मशवरा देने की कोशिश तो करो
नई बासी कोई ख़बर दे दे
पूरे क़द से मैं खड़ा हूँ सामने आएगा क्या
मातम-ए-नीम-ए-शब