Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_55370d6d87e7760cfd2e664faa940139, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यूँही कर लेते हैं औक़ात बसर अपना क्या - फ़ारूक़ नाज़की कविता - Darsaal

यूँही कर लेते हैं औक़ात बसर अपना क्या

यूँही कर लेते हैं औक़ात बसर अपना क्या

अपने ही शहर में हैं शहर-बदर अपना क्या

रात लम्बी है चलो ग़ीबत-ए-याराँ कर लें

शब किसी तौर तो हो जाए बसर अपना क्या

दूरियाँ फ़ासले दुश्वार गुज़रगाहें हैं

है यही शर्त-ए-सफ़र रख़्त-ए-सफ़र अपना क्या

तुझ से अब इज़्न-ए-तकल्लुम भी अगर मिल जाए

लब हिलें या न हिलें आँख हो तर अपना क्या

जाम फिर ताज़ा करो रात बहुत लम्बी है

कुछ तो करना है मियाँ ता-ब-सहर अपना क्या

(837) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya In Hindi By Famous Poet Farooq Nazki. Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya is written by Farooq Nazki. Complete Poem Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya in Hindi by Farooq Nazki. Download free Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya Poem for Youth in PDF. Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Yunhi Kar Lete Hain Auqat Basar Apna Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.