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Farooq Nazki Poetry In Hindi - Best Farooq Nazki Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

फ़ारूक़ नाज़की कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ारूक़ नाज़की

फ़ारूक़ नाज़की कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ारूक़ नाज़की
नामफ़ारूक़ नाज़की
अंग्रेज़ी नामFarooq Nazki
जन्म की तारीख1940
जन्म स्थानSrinagar

तू ख़ुदा है तो बजा मुझ को डराता क्यूँ है

सुना है लोग वहाँ मुझ से ख़ार खाते हैं

सितारे बोती रहीं नींद से तही आँखें

संग-परस्तों की बस्ती में शीशा-गरों की ख़ैर नहीं है

क़द्रों की हदें तोड़ नई तरह निकाल

मुझ से क्या पूछते हो नाम पता

मैं हूँ 'मुज़्तर' बदन की नगरी में

काँच के अल्फ़ाज़ काग़ज़ पर न रख

जुनूँ-आसार मौसम का पता कोई नहीं देगा

जब कोई नौजवान मरता है

हिसार-ए-ख़ौफ़-ओ-हिरास में है बुतान-ए-वहम-ओ-गुमाँ की बस्ती

भटक न जाता अगर ज़ात के बयाबाँ में

बहकी हुई रूहों को तसल्ली दे कर

अब फ़क़ीरी में कोई बात नहीं

आप की तस्वीर थी अख़बार में

ये कैसी रुत आ गई जुनूँ की

तेज़ाब, आकार ख़ुश्बू का

सुनहरी दरवाज़े के बाहर

नींद क्यूँ नहीं आती

मौत

मातम-ए-नीम-ए-शब

एक परी आकाश से उतरी

एक नज़्म जंगलों के नाम

एहसास

बचपन

और मैं चुप रहा

यूँही कर लेते हैं औक़ात बसर अपना क्या

वही में हूँ वही ख़ाली मकाँ है

वही मैं हूँ वही ख़ाली मकाँ है

तोहमत-ए-सैर-ए-चमन हम पे लगी क्या न हुआ

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