Love Poetry of Farooq Muztar
नाम | फ़ारूक़ मुज़्तर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Farooq Muztar |
नजात
ये गर्द-ए-राह ये माहौल ये धुआँ जैसे
उजले माथे पे नाम लिख रक्खें
सलीब-ए-मौजा-ए-आब-ओ-हवा पे लिक्खा हूँ
नक़्श आख़िर आप अपना हादिसा हो जाएगा
मैं ताइर-ए-वजूद या बर्ग-ए-ख़याल था
हर नए मोड़ धूप का सहरा
अपनी आँखों के हिसारों से निकल कर देखना
आँखों में मौज मौज कोई सोचने लगा