रंग, आवाज़, धूप, साया, हर्फ़!
अक्स, इज़हार, बे-नवा, बरबत
आसमाँ, आँधियाँ, अंधेरा, आँख
साँस रोके खड़ी रही दीवार
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
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शहर
सब्ज़ आग़ाज़ से सुर्ख़ अंजाम तक
नज़्म
मैं ताइर-ए-वजूद या बर्ग-ए-ख़याल था
सलीब-ए-मौजा-ए-आब-ओ-हवा पे लिक्खा हूँ
सहर के उफ़ुक़ से
क़ुर्बतें बढ़ गई निगाहों की
हर नए मोड़ धूप का सहरा
नजात
आँखों में मौज मौज कोई सोचने लगा
मौसम
मगर इन आँखों में किस सुब्ह के हवाले थे