उजले माथे पे नाम लिख रक्खें
उजले माथे पे नाम लिख रक्खें
ख़्वाहिशों का मक़ाम लिख रक्खें
फिर हवस को है हसरत-ए-परवाज़
आप दाना-ओ-दाम लिख रक्खें
वर्ना हम इस को भूल जाएँगे
सब्ज़ हर्फ़ों में नाम लिख रक्खें
जाने किस सम्त कल हवा ले जाए
लम्हा-ए-शाद-काम लिख रक्खें
अपने होने का कुछ यक़ीं कर लें
रेत पर नक़्श-ओ-नाम लिख रक्खें
शब को ठिठुरेंगे सब दर-ओ-दीवार
धूप कुछ अपने नाम लिख रक्खें
ज़र्दियाँ ओढ़ने लगा सूरज
नामा-ए-ख़ौफ़-ए-शाम लिख रक्खें
पीले पीले बदन हुआ मौसम
पीला पीला तमाम लिख रक्खें
आने वाले उदास नस्लों के
सिलसिला-वार नाम लिख रक्खें
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