सोच भी उस दिन को जब तू ने मुझे सोचा न था

सोच भी उस दिन को जब तू ने मुझे सोचा न था

कोई दरिया दश्त के अतराफ़ में बहता न था

उस को कब फ़ुर्सत थी जो चेहरों को पढ़ता ग़ौर से

वर्ना सतह-ए-आइना का हर वरक़ सादा न था

जाने क्यूँ अब रात दिन घर में पड़ा रहता है वो

पहले यूँ ख़ुद में कभी सिमटा हुआ रहता न था

ख़ुशबुओं रंगों को पी लेती है आकर ज़र्द-शाम

पेड़ है अंदेशा-ए-अंजाम तो सूखा न था

शाह-राहों से गुरेज़ाँ है मगर कुछ सोच कर

आदतन पहले तो वो पगडंडियाँ चलता न था

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Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha In Hindi By Famous Poet Farooq Muztar. Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha is written by Farooq Muztar. Complete Poem Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha in Hindi by Farooq Muztar. Download free Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha Poem for Youth in PDF. Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Soch Bhi Us Din Ko Jab Tu Ne Mujhe Socha Na Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.