वो बस्ती याद आती है

वो बस्ती याद आती है

वो चेहरे याद आते हैं

वहाँ गुज़रा हुआ

इक एक पल यूँ जगमगाता है

अँधेरी रात में ऊँचे कलस

मंदिर के जैसे झिलमिलाते हैं

वहाँ बस्ती के उस कोने में

वो छोटी सी इक मस्जिद

कि जिस के सहन में

मिरे अज्दाद की पेशानियों के हैं निशाँ अब तक

उसी के पास थोड़ी दूर पर बहती हुई गंगा

मुझे अब भी बुलाती है

वो गंगा जिस का पानी

मिरी रग रग में बहता है

लहू बन कर हुमकता है

मुझे अब भी बुलाता है

अगर मानो तो वो माँ है

न मानो तो फ़क़त बहता हुआ पानी है

दरिया है

मुझे अब भी बुलाता है

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Wo Basti Yaad Aati Hai In Hindi By Famous Poet Farooq Bakshi. Wo Basti Yaad Aati Hai is written by Farooq Bakshi. Complete Poem Wo Basti Yaad Aati Hai in Hindi by Farooq Bakshi. Download free Wo Basti Yaad Aati Hai Poem for Youth in PDF. Wo Basti Yaad Aati Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Basti Yaad Aati Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.