महकते लफ़्ज़ों में शामिल है रंग-ओ-बू किस की
महकते लफ़्ज़ों में शामिल है रंग-ओ-बू किस की
ये मेरे शे'रों में होती है गुफ़्तुगू किस की
वो दिल की आग तो यारब कभी की सर्द हुई
मगर इन आँखों को अब भी है जुस्तुजू किस की
मिरा वजूद तो अब तक सही सलामत है
हवा में ख़ाक ये उड़ती है कू-ब-कू किस की
अगर वो लौट के आया नहीं तो बतलाना
ये ख़ुशबू फैली है आँगन में चार सू किस की
तू अपने आप से बेज़ार तो नहीं 'फ़ारूक़'
तिरे मिज़ाज में आख़िर ये आई ख़ू किस की
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