जली हैं दर्द की शमएँ मगर अंधेरा है

जली हैं दर्द की शमएँ मगर अंधेरा है

कहाँ हो कुछ तो कहो दिल बहुत अकेला है

ये कैसा ज़हर फ़ज़ाओं में भर गया यारो

हर एक आदमी क्यूँ इस क़दर अकेला है

मिरे नसीब में कब है ये रौशनी का नगर

मरे लिए तो यहाँ हर तरफ़ अंधेरा है

जलाए रखना दिए प्यार के मैं आऊँगा

मुझे तुम्हारी वफ़ा पर बड़ा भरोसा है

चमक उठे मिरी पलकों पे याद के जुगनू

ये किस ने प्यार से फिर आज मुझ को देखा है

कहाँ कहाँ मैं उसे ढूँढता रहा 'फ़ारूक़'

जो मेरी रूह की गहराइयों में रहता है

(815) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai In Hindi By Famous Poet Farooq Bakshi. Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai is written by Farooq Bakshi. Complete Poem Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai in Hindi by Farooq Bakshi. Download free Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai Poem for Youth in PDF. Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jali Hain Dard Ki ShaMein Magar Andhera Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.