Sad Poetry of Farooq Anjum
नाम | फ़ारूक़ अंजुम |
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अंग्रेज़ी नाम | Farooq Anjum |
यारों को क्या ढूँड रहे हो वक़्त की आँख-मिचोली में
शहर की फ़सीलों पर ज़ख़्म जगमगाएँगे
सब्ज़ मौसम की रिफ़ाक़त उस का कारोबार है
परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं
मैं मो'तबर हूँ इश्क़ मिरा मो'तबर नहीं
ख़ाली नहीं है कोई यहाँ पर अज़ाब से
जो बैठो सोचने हर ज़ख़्म-ए-दिल कसकता है
अब धूप मुक़द्दर हुई छप्पर न मिलेगा