Heart Broken Poetry of Farooq Anjum
नाम | फ़ारूक़ अंजुम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Farooq Anjum |
तारे शुमार करते हैं रो रो के रात भर
शहर की फ़सीलों पर ज़ख़्म जगमगाएँगे
सब्ज़ मौसम की रिफ़ाक़त उस का कारोबार है
न-जाने कितने लहजे और कितने रंग बदलेगा
मैं मो'तबर हूँ इश्क़ मिरा मो'तबर नहीं
ख़ाली नहीं है कोई यहाँ पर अज़ाब से
जो बैठो सोचने हर ज़ख़्म-ए-दिल कसकता है
जंग में जाएगा अब मेरा ही सर जान गया
जब भी मिला वो टूट के हम से मिला तो है
अब धूप मुक़द्दर हुई छप्पर न मिलेगा