Ghazals of Farooq Anjum
नाम | फ़ारूक़ अंजुम |
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अंग्रेज़ी नाम | Farooq Anjum |
ये वक़्त ज़िंदगी की अदाएँ भी ले गया
यारों को क्या ढूँड रहे हो वक़्त की आँख-मिचोली में
तारे शुमार करते हैं रो रो के रात भर
शहर की फ़सीलों पर ज़ख़्म जगमगाएँगे
सब्ज़ मौसम की रिफ़ाक़त उस का कारोबार है
परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं
न-जाने कितने लहजे और कितने रंग बदलेगा
मैं मो'तबर हूँ इश्क़ मिरा मो'तबर नहीं
ख़ाली नहीं है कोई यहाँ पर अज़ाब से
जो बैठो सोचने हर ज़ख़्म-ए-दिल कसकता है
जंग में जाएगा अब मेरा ही सर जान गया
जब भी मिला वो टूट के हम से मिला तो है
अब धूप मुक़द्दर हुई छप्पर न मिलेगा