Ghazals of Fariha Naqvi
नाम | फरीहा नक़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fariha Naqvi |
वो अगर अब भी कोई अहद निभाना चाहे
उसे भूलने का सितम कर रहे हैं
तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं है
शनासाई का सिलसिला देखती हूँ
लाख दिल ने पुकारना चाहा
क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे
खुल कर आख़िर जहल का एलान होना चाहिए
इसे भी छोड़ूँ उसे भी छोड़ूँ तुम्हें सभी से ही मसअला है?
हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैं
बीते ख़्वाब की आदी आँखें कौन उन्हें समझाए
ऐ मिरी ज़ात के सुकूँ आ जा