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Fariha Naqvi Poetry In Hindi - Best Fariha Naqvi Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

फरीहा नक़वी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फरीहा नक़वी

फरीहा नक़वी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फरीहा नक़वी
नामफरीहा नक़वी
अंग्रेज़ी नामFariha Naqvi

ज़माने अब तिरे मद्द-ए-मुक़ाबिल

वो ख़ुदा है तो भला उस से शिकायत कैसी?

उस की जानिब से बढ़ा एक क़दम

तुम्हें पता है मिरे हाथ की लकीरों में

तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं है

तुम्हारे रंग फीके पड़ गए नाँ?

तुम मिरी वहशतों के साथी थे

रात से एक सोच में गुम हूँ

मिरे हिज्र के फ़ैसले से डरो तुम

लड़खड़ाना नहीं मुझे फिर भी

किस किस फूल की शादाबी को मस्ख़ करोगे बोलो!!!

खुल कर आख़िर जहल का एलान होना चाहिए

हम आज क़ौस-ए-क़ुज़ह के मानिंद एक दूजे पे खिल रहे हैं

हथेली से ठंडा धुआँ उठ रहा है

दे रहे हैं लोग मेरे दिल पे दस्तक बार बार

भली क्यूँ लगे हम को ख़ुशियों की दस्तक

ऐन मुमकिन है उसे मुझ से मोहब्बत ही न हो

मैं शाम से शायद डूबी थी

हमारे कमरे में पत्तियों की महक ने

एक सौ बीस दिन

एक पुराना ख़्वाब

आईने से झाँकती नज़्म

वो अगर अब भी कोई अहद निभाना चाहे

उसे भूलने का सितम कर रहे हैं

तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं है

शनासाई का सिलसिला देखती हूँ

लाख दिल ने पुकारना चाहा

क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे

खुल कर आख़िर जहल का एलान होना चाहिए

इसे भी छोड़ूँ उसे भी छोड़ूँ तुम्हें सभी से ही मसअला है?

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