Hope Poetry of Farigh Bukhari
नाम | फ़ारिग़ बुख़ारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Farigh Bukhari |
जन्म की तारीख | 1917 |
मौत की तिथि | 1997 |
यही है दौर-ए-ग़म-ए-आशिक़ी तो क्या होगा
यादों का अजीब सिलसिला है
वो रोज़-ओ-शब भी नहीं हैं वो रंग-ओ-बू भी नहीं
वो रोज़-ओ-शब भी नहीं है वो रंग-ओ-बू भी नहीं
रंग-दर-रंग हिजाबात उठाने होंगे
जंगल उगा था हद्द-ए-नज़र तक सदाओं का
जबीं का चाँद बनूँ आँख का सितारा बनूँ
हुए हैं सर्द दिमाग़ों के दहके दहके अलाव
हवास लूट लिए शोरिश-ए-तमन्ना ने
दो घड़ी बैठे थे ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं की छाँव में
देखे कोई जो चाक-ए-गरेबाँ के पार भी
देख कर उस हसीन पैकर को
अपने ही साए में था में शायद छुपा हुआ