ख़तरे का निशान
दाएरों में चलते चलते
हम कहाँ तक आ गए
ऊँघते ही ऊँघते
ख़्वाब-ए-गिराँ तक आ गए
गहरे पानी में उतर कर
पार होने के बजाए
डरते डरते अब तो
ख़तरे के निशाँ तक आ गए
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दाएरों में चलते चलते
हम कहाँ तक आ गए
ऊँघते ही ऊँघते
ख़्वाब-ए-गिराँ तक आ गए
गहरे पानी में उतर कर
पार होने के बजाए
डरते डरते अब तो
ख़तरे के निशाँ तक आ गए
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